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महाराजा अग्रसेन जी का जन्म सुर्यवंशी भगवान श्रीराम जी के पुत्र कुश की चौतीस वी पीढ़ी में द्वापर के अंतिम काल (याने महाभारत काल) एवं कलयुग के प्रारंभ में अश्विन शुक्ल एकम को हुआ। कालगणना के अनुसार विक्रम संवत आरंभ होने से 3130 वर्ष पूर्व अर्थात ( 3130+ संवत 2073) याने आज से 5203 वर्ष पूर्व हुआ। वृहत्सेन जी अग्रसेन के दादा जी थे। वे प्रतापनगर के महाराजा वल्लभसेन एवं माता भगवती देवी के ज्येष्ठ पुत्र थे। प्रतापनगर, वर्तमान में राजस्थान एवं हरियाणा राज्य के बीच सरस्वती नदी के किनारे स्थित था। बालक अग्रसेन को शिक्षा ग्रहण करने के लिए मुनि तांडेय के आश्रम भेजा जाता है। जहां से अग्रसेन एक अच्छे शासक बनने के गुण लेकर निकलते है। 15 वर्ष की आयु में, अग्रसेन जी ने महाभारत के युद्ध में पांडवो के पक्ष में युद्ध लड़ा था। उनके पिता महाराज वल्लभसेन युद्ध के दसवे दिन भीष्म पितामह के बाणों से वीरगती को प्राप्त हुए। तब शोकाकुल अग्रसेन को भगवान श्रीकृष्ण ने शोक से उबरने का दिव्य ज्ञान देकर पिता का राजकाज संभालने का निर्देश दिया।
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